अपन बर मीठ-मीठ, अऊ दुसर बर कड़ू करेला – डॉ रश्मि सोनकर

खबर सुनें

रायपुर-वादा कर्मचारियों के वेतन को बढ़ाने का था निभाने के समय खुद का बढ़ाया वेतन-यही है भूपेश बघेल की असली पहचान। वाह रे भूपेश सरकार,हद है आपके दोगलेपन का,मानना पड़ेगा। बताना चाहेंगे कि बीजापुर जिले के पूरे 211 एन. एच. एम. कर्मचारियों के सेवा समाप्ति के बाद उनके परिवार को दरबदर करने का,उनके आर्थिक संकट पर किस तरह प्रदेश के मुख्यमंत्री बेशर्मों की सारी हदें पार कर मौन धारण किए हुए हैं,यह तो देखने वाली बात है। इसे लेकर भाजपा सोशल मीडिया की प्रदेश कार्यसमिति सदस्य डा रश्मि सोनकर ने आरोप लगाते हुए पूछा कि इसका जिम्मेदार कौन??
इन दिनों छत्तीसगढ़ मे यही हो रहा है, ऐसा कोई विभाग नही है जो वेतन विसंगति को लेकर धरना या हड़ताल पर नही बैठे हो। कुछ विभाग के झोली मे थोड़ा बहुत आया, बाकी के हिस्से मे बर्खास्तगी आई, छत्तीसगढ़ मे चुनाव के पहले कांग्रेस सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में अपनी अहम भूमिका निभाने वाली एन. एच. एम. के धरना स्थल मे जाकर वादा किया था कि हमारी सरकार आयेगी तो नियमितीकरण किया जायेगा, आज चुनाव को सिर्फ दो महीने बाकी है, तो ऐसे स्थिति मे एन. एच. एम. कर्मचारियों के सब्र का बांध टूट गया और आखिरी लड़ाई के रुप मे लगातार सामूहिक हड़ताल में 3 जुलाई से बैठे बैठे आज की तारीख तक का इतिहास गवाह है,कि किस तरह से भूपेश सरकार में इन्हें भरोसे पर सिर्फ और सिर्फ ठेंगा ही हासिल हुआ है। इन पर एस्मा एक्ट के माध्यम से भी हड़ताल को तोड़ने की कोशिश की गयी पर कर्मचारियों ने नही सुनी तो तानाशाही रवैया अपनाकर बीजापुर के 211 कर्मचारियों की सेवा समाप्ति की घोषणा कर दी गयी। क्या छत्तीसगढ़ के कका कहे जाने वाले मुख्यमंत्री भूपेश को कका का मतलब भी पता है,जो उन एन. एच. एम. कर्मचारियों और उनके परिवारों को दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर दिए। कका को तनिक भी मरीजों की दिन रात सेवा करने वाली एन एच एम का खयाल तक नही आया,भला खयाल आयेगा भी कैसे, क्योंकि इन्हें अपनी और अपने मंत्री मंडल व विधायकों के वेतन को बेशर्मो की तरह जो बढ़ाने का नशा सा था। इसे लेकर ही रश्मि सोनकर ने कहा-अपन बर मीठ-मीठ, अऊ दुसर बर कड़ू करेला। भूपेश बघेल के इस तानाशाह रवैये ने तो सिद्ध कर दिया कि कांग्रेस राज में अपना काम बनता, भाड़ मे जाये जनता की पालिसी ही अपनाई जाएगी। आज की तारीख तक एन. एच. एम. कर्मचारियों को यही बोला गया है कि आप हड़ताल छोड़कर काम पर जाये, बाकी बाद मे विचार किया जायेगा, चुनाव को 2-3 महिने शेष है, अपने हक और अधिकार के लिये जनता को जूझना पड़ रहा है।

किसका कितना बढ़ा वेतन,जानिये-

मुख्यमंत्री- 1.35 लाख से 2.5 लाख प्रतिमाह
मंत्रीगणों- 1.30 लाख से 1.90 लाख प्रतिमाह
सासदीय सचिव-1.21 लाख से 1.75 लाख प्रतिमाह
विधानसभा अध्यक्ष- 1.32 लाख से 1.95 लाख प्रतिमाह
विधानसभा उपाध्यक्ष -1.28 लाख से 1.80 लाख प्रतिमाह
नेता प्रतिपक्ष -1.30 लाख से 1.90 लाख प्रतिमाह
विधायक – 1.10 लाख से 1.60 लाख प्रतिमाह

रश्मि सोनकर ने कका और कांग्रेस सरकार से साफ साफ और कड़े शब्दों में कहा है कि इस तरह अपना इंतजाम कर जनता और कर्मचारियों के साथ,छत्तीसगढ़ की जनता को ठगना बंद करें।

Leave a Comment

स्वतंत्रत और सच्ची पत्रकारिता के लिए जरूरी है कि वो कारपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करें

[democracy id="3"]
Translate »