रायपुर-कांग्रेस के घोषणा पत्र को देखकर वोट दिए जिसकी बदौलत कांग्रेस सत्ता में आई। सरकार के एक कार्यकाल पूरे होने के उपरांत भी आज तक नियमितीकरण नहीं की है,जिसे लेकर प्रदेश के लगभग पांच अनियमित कर्मचारियों में सरकार के कार्यशैली के प्रति जमकर आक्रोश व्याप्त है। वहीं पिछले दिनों सत्ता धारी मंत्री रवीन्द्र चौबे के बयान को लेकर कर्मचारियों में खुशी की बजाए और आक्रोश बढ़ चुका है,जिस पर कई संगठनों ने सरकार को लबरा सरकार का नाम देने से पीछे नहीं हट रही है। सभी का कहना है कि सरकार हमारे हड़तालों को अपने झूठे आश्वासन देकर तितर बितर करना चाह रही है और सिर्फ जुब्लेबाजी कर रही है। जब कांग्रेस में सरकार बनाने के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव में ढाई ढाई साल का मुख्यमंत्री बनाने को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार ना होकर गुटबाजी कर मुख्यमंत्री की कुर्सी से चिपके रहे और अंत में चुनाव नजदीक आने पर मजबूरी वश टी एस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनवाए। वहीं जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं कहा था कि यह वर्ष किसानों का है अगले वर्ष कर्मचारियों का होगा,जब आज तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपना वादा याद नहीं रहा और लगभग पांच लाख अनियमित कर्मचारियों को भूल सिर्फ 4,000/- का झुनझुना पकड़ाकर आज तक 4,000/- का आदेश जारी नहीं करा पाए तो भला हम कैसे कांग्रेस पर भरोसा कर लें। जब संगठन में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर आपसी खींचतान बना रहा तो भला कांग्रेस की जुब्लेबाजी पर हम कैसे भरोसा कर लें। सरकार हमारे संगठनों में फूट डालो शासन करो की नीति अपनाने की हर संभव प्रयास कर रही है। वहीं सभी अनियमित, संविदा श्रम संगठनों का कहना है कि जब तक हम आदेश नहीं देख लेंगे,तब तक हम अपने जायज मांगों पर अड़े रहेंगे। सरकार एक हाथ से आदेश जारी करे दूसरे हाथों से हम हड़ताल वापस के साथ सरकार को हम गद्दी तक पहुंचाएंगे।वहीं पिछले 25 जुलाई को सामान्य प्रशासन के द्वारा पत्र जारी कर कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार आंकड़े मांगकर प्रदेश के अनियमित और संविदा कर्मचारियों के साथ कहीं धोखा न कर दे और कहीं यह ना कह दे कि हमारी सरकार में इतने लोगों को सरकारी नौकरी दी गई।
स्वतंत्रत और सच्ची पत्रकारिता के लिए जरूरी है कि वो कारपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करें
[democracy id="3"]