आखिर कौन है मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के कमीशन एजेंट,जिस पर कार्यवाही करने से डरता है पूरा महकमा…..पढ़े़ पूरी खबर

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रायपुर-वैसे तो कांग्रेस की सरकार ने न्याय योजना का आरंभ किया है, परंतु छत्तीसगढ़ प्रदेश के आमजनों के साथ सिर्फ और सिर्फ अन्याय ही हो रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वर्तमान उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव ने जगह जगह पर कमीशन एजेंट बनाकर रखें हैं,जिसके कारण प्रदेश में जमकर भ्रष्टाचार और नियमों की अनदेखी की जा रही है। बताना चाहेंगे कि छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक ऐसा जिला जो स्वयं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और वर्तमान में उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव के संभाग के अंतर्गत आता है,जहां पिछले 20 सालों से एक ही व्यक्ति एक पद पर आसीन है। जो व्यक्ति एक ही जगह पर आसीन है, वो कोई और नहीं नवगठित जिले के प्रथम मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा सुरेश तिवारी हैं, जो कभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी हुआ करते थे,जो प्रदेश के दोनों ही बड़े पदों पर आसीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और वर्तमान उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव के छत्रसाया में स्वास्थ्य की हालत दयनीय कर रखे हैं,जिनमें दोनों ने ही अपने आंखों में धृतराष्ट्र की तरह आंखों में पट्टी बांध मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा सुरेश तिवारी के द्वारा जनता से इलाज के नाम पर उगाही करने का मानो लायसेस दे रखे हैं और दोनों ही नेताओ का कमीशन उन तक समय समय पर पहुंच रहा है,जिसका खामियाजा आमजनता को अपनी जान खोकर देना पड़ रहा है।
ताजा खबर नवगठित जिले मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर का है,जहां नारायण नामक व्यक्ति की मौत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लापरवाह अफसरों के कारण हो गई। दरअसल दिनांक 21 जुलाई को मनेन्द्रगढ़ मौहारपारा निवासी नारायण पतवार सड़क दुघर्टना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे,जिन्हें इलाज के लिए उनके परिजनों ने शुक्रवार की शाम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। मृतक के परिजनों ने ड्यूटी डाक्टर अर्चना पर 500/- मांगने का आरोप लगाया है। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया है कि डा अर्चना के द्वारा कहा गया है कि हमारे पास स्टीच और बेंडेज लगाने वाले समान नहीं हैं,जिसको भी आपको ही लाना होगा। वहीं परिजनों के द्वारा डा सुरेश तिवारी को कई बार काल किया गया जिस पर बस आधे घंटे,थोड़ी देर में आता हूं,बस घर से निकल रहा हूं,कहते हुए रात 08 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे हैं,जहां तब तक दुर्घटना में घायल नारायण पतवार की मृत्यु हो चुकी थी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा सुरेश तिवारी के इस प्रकार के गैर जिम्मेदाराना हरकत को लेकर परिजनों में रोष व्याप्त होना लाजिमी था,जिसके उपरांत परिजनों ने डा सुरेश तिवारी को घेर हाथापाई करने की कोशिश की,लेकिन तब तक डा सुरेश तिवारी अपने बुद्धि विवेक का इस्तेमाल कर पुलिस की शरण ले चुके थे और थाना परिसर का मुख्य द्वार अंदर से बंद करवा दिया गया था ताकि अंदर कोई ना आ सके। इसकी घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक निमेष बरैया, प्रभारी अपर कलेक्टर अभिलाषा पैकरा, एसडीएम खड़गंवा विजेंद्र सारथी अपने समूचे दल बल के साथ थाना परिसर पहुंचे जहां भीड़ को शांत कराने का प्रयास किया गया,लेकिन सभी ने डा सुरेश तिवारी के बर्खास्तगी और आवश्यक विधिक कार्यवाही की मांग करते नजर आए। वहीं इसी बीच डा सुरेश तिवारी,जिनकी लापरवाही के कारण नारायण की जान गई है,का बीच बचाव करने कुछ भूमाफिया, रसूखदार लोगों ने भी सारे बेशर्म को छोड़कर सामने आए।घटना को शांत करने प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने तत्काल डा सुरेश तिवारी के निलंबन का आदेश दिया है,जो अब तक प्रशासन की मिलीभगत के कारण जारी नहीं हो सका है और ना ही इसकी पुष्टि हो सकी है।वहीं लोगों में डा सुरेश तिवारी और प्रशासन को लेकर जमकर नाराजगी व्याप्त है।

सवाल अब भी यही उठ खड़े होते हैं कि-

01. आखिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना ही क्यों की गई है,शायद इसलिए कि गरीब तबके वर्ग का व्यक्ति अपना इलाज अच्छे से करा पाए,क्या इसका पालन मनेन्द्रगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हो रहा है?

02.जब सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला गया है,तो यहां आज तक पर्याप्त चिकित्सकों की भर्ती क्यों नहीं की गई?

03.जब समूचे प्रदेश में स्थानांतरण नीति लागू है तो भला मनेन्द्रगढ़ में डा सुरेश तिवारी इतने दिनों से मनेन्द्रगढ़ मे़ ही कैसे डटे हुए हैं, स्थानीय विधायक और जनप्रतिनिधियों ने क्या इन्हें संरक्षण दे रखे हैं या फिर सभी को डा सुरेश तिवारी से हर माह का कमीशन बंधा हुआ है,जिस कारण से स्थानीय डा विधायक भी अब तक मौन हैं?

04. अगर डा सुरेश तिवारी का ज्यादा समय उनके स्वयं के क्लीनिक कमला मेमोरियल पर व्यतीत होता है,तो प्रशासन अब तक अपनी आंखों में धृतराष्ट्र की तरह काली पट्टी क्यों बांधकर बैठे हैं?

05.क्या स्थानांतरण नीति डा सुरेश तिवारी पर लागू नहीं होती या फिर सत्ताधारी नेताओं सहित प्रदेश के सचिव स्तर तक के अधिकारियों को मोटी रकम पहुंचायी जाती है,जिस कारण से इन्हें आज तक संरक्षण प्राप्त किया गया है ताकि ये आमजनों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते रहें और अपना निजी क्लीनिक कमला मेमोरियल का संचालन सुचारू रुप से करते रहे़।

06. आखिर मनेन्द्रगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों का स्थानांतरण आज तक क्यों नही़ किया गया,क्या ये सभी स्थानान्तरण नीति के दायरे में नहीं आते हैं, आखिर इन पर किसका संरक्षण प्राप्त है?

07. आखिर अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध कोई भी जिला कलेक्टर या संभाग या प्रदेश स्तर का अधिकारी भला आज तक मौन क्यों रहा है?

08. अगर घायल नारायण पतवार की स्थिति इतनी दयनीय थी,तो तत्काल उच्च अस्पताल में रिफर क्यों नहीं किया गया?

09. मनेन्द्रगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आमजनों के सोनोग्राफी को लेकर प्रबंधन और शासन प्रशासन ने क्या कारगार कदम उठाएं है,जिसे लेकर आमजनों में आक्रोश ना हो?

इन्हीं बातों को लेकर ही लोगों ने अब कहना शुरू कर दिया है कि डा सुरेश तिवारी प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव एंव स्थानीय विधायकों के कमीशन एजेंट बन गए हैं। बहरहाल अब देखना होगा कि स्वास्थ्य सुविधाओं और आमजनों को लेकर स्वास्थ्य सुविधाएं सही करने हेतु कोई ठोस कारगार कदम उठाने के साथ डा सुरेश तिवारी को बर्खास्त कर पूरे लेखा बही की जांच की जाएगी या फिर सिर्फ निलंबन का आश्वासन देकर पुनः सेवा में बहाल कर आमजनों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने की एक नई रणनीति अपनाई जाएगी।

अगर वास्तव में प्रदेश के मुख्यमंत्री,उपमुख्यमंत्री, स्थानीय विधायक सच में कमीशन एजेंट नहीं बनाएं हैं तो फिर अब तक क्यों नहीं सुधर सकी मनेन्द्रगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था?

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