महिला पुलिस स्वयं सेविका योजना बंद होने की असली वजह महिला एवं बाल विकास विभाग के बाल संरक्षण अधिकारियों का ढुलमुल रवैया,लोगों ने कहा योजना बंद करने के साथ ऐसे भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारियों को भी तत्काल हटाया जाए-सूत्र

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रायपुर-केंद्र सरकार द्वारा देश में महिलाओं की सुरक्षा, महिलाओं के प्रति घटित हो रहे अपराधों में रोकथाम और महिलाओं को जागरूक करने के प्रयोजन से योजना को छत्तीसगढ़ के कोरिया एंव दुर्ग जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के रुप में आरंभ किया गया था,जिसे इन दोनों जिलों में शुरुआती दौर पर सही रुप में चलाया रहा था। लेकिन कुछ समय बाद दोनों ही जिलों के बाल संरक्षण अधिकारियों के द्वारा इन महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं को सिर्फ पीड़ितों के घर भेजना और उन्हें जिला कार्यालय में बुलाने हेतु कहा जाता था। कुछेक महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं का कहना है कि कोरिया जिले की बाल संरक्षण अधिकारी के द्वारा हमसे नौकर की तरह काम कराया जाता था और मानदेय की जानकारी पूछने पर फोन ना उठाना, नम्बर ब्लाक करना और तरह तरह से उपेक्षा की जाती रही है। यहां तक की जो प्रशिक्षण शिविर आयोजित होते थे उनमें दो पारले जी के बिस्कुट और चाय दिए जाते थे,वो भी हर किसी को नहीं मिलते थे‌। यहा़ तक कि युनिफार्म के रुप में दिए जाने वाले साड़ी को भी खुद के पैसों से खरीदने के लिए कह दिए जाते थे, महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं ने यह सोचकर साड़ी खरीदी कि चलो हमें काम करना ही है,तो स्वयं से ही खरीद लेते हैं। महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं का आरोप है कि जिला बाल संरक्षण अधिकारी के द्वारा ही हर महीने मानदेय के लिए फाईल संचालनालय स्तर को नहीं भेजी जाती थी,जिस कारण से हमें समय पर मानदेय नहीं मिल पाता था। वहीं विश्वस्थ सूत्रों से जानकारी मिली है कि महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं योजना को महिला एवं बाल विकास विभाग के जिन भी अधिकारी के द्वारा नोडल अधिकारी के रूप में जिम्मेदारी मिली थी,उनके द्वारा ही इन महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं के विरुद्ध जानबूझकर गलत रिपोर्ट केंद्र शासन तक भेजी गई है,जिसका खामियाजा इन्हें बेरोजगार होकर होना पड़ रहा है। यहां तक की आरोप यह भी है कि इन्हें लगभग 02 सालों के मानदेय भुगतान विभाग द्वारा नहीं किया गया है। वहीं इध तमाम महिला पुलिस स्वयं सेविकाओं का कहना है कि जिस तरह से हमारी बिना जांच किए योजना को बंद कर दिया गया है,उसे देखते ही तत्काल संविदा तौर पर नियुक्ति पाए जिला बाल संरक्षण अधिकारी का भी पद समाप्त किया जाए।

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