



दिल्ली-अरबों खरबों का व्यापार करने वाली देश की मिनीरत्न कंपनी में शुमार कोल इंडिया लिमिटेड आज भी विकास से कहीं ज्यादा ही अछूता है। बताना चाहेंगे कि कोल इंडिया जहां कोयले का करोबार कई परिवारों के घरों में दो जून का चूल्हा जलवा लोगों को अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में मददगार है, लेकिन आज भी कई ऐसे सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं जो 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर छोटी सी पेंशन राशि में अपने घरों का चूल्हा जलवाते हैं। कंपनी ने कोल इंडिया के सभी कर्मचारियों के बेहतर इलाज के लिए स्वास्थ्य योजना का भी आरंभ किया है,जिसका लाभ कंपनी के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा। कंपनी में आज भी सिर्फ एक्जीक्यूटिव वर्ग के लोगों के लिए ही आनलाइन मेडिक्लेम की सुविधा उपलब्ध है जबकि नान-एक्सयूटिव कर्मचारियों की संख्या कई ज्यादा है,जो आज भी मेडिक्लेम की सुविधा से वंचित हैं। इनके लिए साल भर में सिर्फ 25,000/- तक ही राशि का इलाज ओपीडी में देने का प्रावधान है वहीं गंभीर बिमारी पर वर्ष भर में 04-04 लाख पति पत्नी के लिए है। वहीं ऐसी बिमारी जो अति गंभीर है उनके लिए असीमित है, परंतु विडम्बना यह है कि डिजिटल इंडिया के जमाने में आज भी आफलाईन आवेदन की सुविधा उपर से कार्यालयों के चक्कर लगाना आदि समस्या निरंतर बनी रहती है। अगर कोई नौकरी करने के बाद कहीं दूर घर बनाकर अपना जीवन यापन कर रहा है तो उसे बिल जमाकरने,साल भर मे़ कितने पैसों का इलाज हुआ आदि तमाम सुविधाओं से वंचित होना पड़ता है। कंपनी जिन कर्मचारियों की बदौलत आज मिनी रत्न के कहलाने लायक हुई है,उनकी ही उपेक्षा वो भी इस डिजिटल इंडिया के जमाने मे़। इसे लेकर पांच बड़े श्रम संगठनों ने भी शायद प्रबंधन और सरकार के आगे घुटने टेक दिए हैं,जिस कारण श्रम संगठनों के पदाधिकारियों के द्वारा मेम्बरशिप के नाम पर सिर्फ वार्षिक चंदे उगाही मे़ मस्त रहते है़।