वाह रे भूपेश की सरकार, सरकारी नौकरी ना देकर बेरोजगारों के पेट में लात मारने का अच्छा रास्ता निकाला सरकार और उसके काबिल मंत्रियों ने…. पढ़िए पूरी खबर

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रायपुर-प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जनता दरबार और मीडिया से बातचीत में अपने आपको सबसे काबिल मुख्यमंत्री बताने से कदा भी पीछे नहीं हटते। पर ये क्या उन्हीं के नाक के नीचे आऊट सोर्सिंग,शर्म आनी चाहिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके स्वास्थ्य मंत्री को। दरअसल राजधानी रायपुर के अवंती बिहार स्थित भव्य हेल्थ केयर सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा स्वास्थ्य विभाग में वेटनरी डाक्टर,पैरामेडिकल वेटनरी असिस्टेंट, ड्राइवर एंव कॉल सेंटर में आपरेटर के पदों पर भर्ती हेतु विज्ञापन निकाल डायरेक्ट इंटरव्यू का कार्य किया जा रहा था जिसे छ.ग.प्रदेश स्वास्थ्य संगठन ने रंगे हाथों पकड़ा। बताना चाहेंगे कि भव्य हेल्थ केयर सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा प्रदेश के गरीब आदिवासी ग्रामीण बेरोज़गारो को स्थायी नौकरी के नाम पर बरगला कर इन भोले भाले ग्रामीणों से गुप्त तरीक़े से चालीस से पचास हज़ार तक लिए जा रहे थे। कंपनी ने ग्रामीणों से पैसों की वसूली के लिए बकायदा एजेंट भी बना रखे थे। इन ग्रामीणों से इंटरव्यू के लिए बकायदा 12,13 एंव 14 जुलाई की तारीख भी मुकर्रर कर रखी थी। छ.ग.प्रदेश स्वास्थ्य संगठन के प्रदेश पदाधिकारी योगेन्द्र दिवान ने बताया कि जब हम मौके पर पहुंचे तो इनके द्वारा कोई भी शासकीय दस्तावेज नहीं दिखा पाए। योगेन्द्र बताते हैं कि इनके पास ना ही गुमास्ता लाइसेंस और ना ही कोई शासकीय वैध दस्तावेज पाया गया। यहां तक की इनके पास ना ही फायर सेफ्टी का कोई इंतजाम पाया गया जबकि शासन के निर्देशानुसार ये सभी मौके पर होना अति आवश्यक है। कंपनी को किराए के मकान में संचालित किया जा रहा था जबकि अगर प्रायवेट लिमिटेड कंपनी है तो पंजीयन के समय पते के संबंध में शासकीय दस्तावेज देने होते हैं,तो भला किराए के मकान में कैसे संचालित हो रहा था। बताना चाहेंगे कि हाल ही में इस कंपनी ने मोबाइल केयर यूनिट के 90 पदों पर भर्ती निकाल उनकी नियुक्ति की गई जिन्होंने कंपनी को मोटी राशि प्रदान की। आरोप है कि कंपनी ने इन्हें धमकी तक दी है कि अगर यहां कई कोई भी बात बाहर किसी को बताओगे तो तुम्हें भी नौकरी से निकाल देंगें। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष अजय त्रिपाठी ने कहा कि सरकार आउटसोर्सिंग भर्ती ,ठेका प्रथा बंद कर नियमित स्थायी रोज़गार की बात कर रही पर यहाँ ना स्थायी रोज़गार मिला रहा ना ही नियमित स्थायी भर्ती । सरकार प्रदेश के समस्त विभागों में नियमित भर्ती निकाले जिससे बेरोजगारो के साथ अन्याय ना हो। कंपनी के द्वारा जहां भर्ती की जा रही थी,वहां हजारों की संख्या में बेरोजगारों के द्वारा लंबी लाइनें लगाई गई थी,जिनके लिए कोई समुचित व्यवस्था तक नहीं की गई थी। वहीं संगठन के पदाधिकारियों ने इस मामले को लेकर प्रदेश के राज्यपाल के नाम पत्र सौंप कर जल्द से जल्द कार्यवाही करने की मां की है और कहा है कि अगर दोषियों को संरक्षण दिया जाता है तथा इस पर कोई कार्यवाही नहीं होती है या फिर लीपापोती होती है तो संगठन प्रेस वार्ता कर प्रदेश स्तर में इस ठेका भर्ती का विरोध किया जाएगा,जिसके लिए शासन प्रशासन जिम्मेदार होगा।

वहीं अब सवाल ये उठते हैं कि अगर शासन और विभाग की कोई मिलीभगत नहीं थी तो कंपनी को कैसे मालूम कि स्वास्थ्य विभाग के कितने पदों पर नियुक्ति की जानी है और अगर 90 पदों पर जो नियुक्ति की गई है,जो नियुक्त हुए हैं, फिर उनसे कार्य किस आधार पर लिया जा रहा है?

अब तो साफ दिखने लगा है कि कहीं न कहीं पूरी दाल ही काली है और सभी की इसमें बराबर की हिस्सेदारी है।

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